मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले के परासिया ब्लॉक में एक बेहद दुखद घटना सामने आई है। रिपोर्ट्स के अनुसार, लगभग 22 बच्चों की मौत कफ-सिरप (cough syrup)Coldrif पीने के बाद हुई है। बताया जा रहा है कि बच्चों ने ‘Coldrif’ कफ सिरप पीने के बाद उल्टी, बुखार और पेशाब में तकलीफ जैसी गंभीर समस्याएं झेली। छिंदवाड़ा के अलावा बैतूल और पांढुर्ना व अन्य राज्य से भी मामले सामने आए हैं।
यह मामला न सिर्फ स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल खड़ा करता है, बल्कि दवा सुरक्षा, संवेदनशीलता और कानून की चिंता को भी हवा देता है,
अब ये मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा।


रिपोर्ट्स के अनुसार
बच्चे पहले बुखार और सर्दी जुकाम से पीड़ित थे। डॉक्टरों ने उन्हें ‘Coldrif’ नामक कफ सिरप दिया। लेकिन इसके सेवन के बाद कई बच्चों को तीव्र उल्टी, मूत्र न निकलना (urine retention), और गुर्दे फेलियर जैसे गंभीर लक्षण उमड़ने लगे।
मध्य प्रदेश के उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ला ने बताया कि अब तक 20 बच्चे मर चुके हैं, और 5 अन्य अभी भी इलाज के अधीन हैं। इनमें से ज़्यादातर (17) बच्चे छिंदवाड़ा जिले के थे, जबकि 2 बच्चे Betul जिले से और 1 Pandhurna से है।
कुछ समय पहले 17 मौतें हुई थीं, लेकिन मंगलवार को दो और बच्चों की मृत्यु हुई और सोमवार रात एक और बच्चा चल बसा।
इलाज कराए जा रहे बच्चों में से:
* 2 सरकारी मेडिकल कॉलेज, नागपुर में
* 2 AIIMS में
* 1 निजी अस्पताल में भर्ती है
उपमुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री मोहन यादव की सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि बच्चों का इलाज बिना किसी वित्तीय बोझ के हो।
जांच और आरोप
सिरप की मिलावट और दोष
जांच में यह सामने आया है कि इस सिरप में Diethylene Glycol (DEG) नामक एक जहरीला रसायन लगभग 48.6% की मात्रा में पाया गया है — यह बहुत अधिक है और जानलेवा हो सकता है।
सिरप निर्माता कंपनी Sresan Pharmaceuticals, Kancheepuram, Tamil Nadu है।
डॉक्टर और अन्य आरोपित
परासिया, छिंदवाड़ा के एक सरकारी बाल रोग विशेषज्ञ Dr. Praveen Soni को गिरफ्तार किया गया है। उन पर आरोप लगाया गया है कि उन्होंने इस मिलावटी सिरप को बच्चों को लिखने में लापरवाही की।
FIR में उन्हें culpable homicide (हत्या का आशय नहीं) और Drugs & Cosmetics Act के उल्लंघन सहित आरोपित किया गया है।
मध्य प्रदेश सरकार ने इस घटना की जाँच के लिए एक Special Investigation Team (SIT) बनाई है। साथ ही, राज्य सरकार ने सिरप की बिक्री और वितरण को पूरी तरह प्रतिबंधित कर दिया है।
कुछ दवा निरीक्षकों और FDA विभाग के अधिकारी भी निलंबित/स्थानांतरित किए गए हैं।
सरकार की प्रतिक्रिया और राहत उपाय
* छिंदवाड़ा कलेक्टर ने तीन विशेष टीम बनाई हैं, जो प्रभावित परिवारों को सहायता पहुंचा रही हैं।
* मुख्यमंत्री की ओर से मृतकों के परिवारों को मुआवजा देने और बच्चों का इलाज मुफ्त करने की घोषणा की गई है।
* राज्य सरकार ने Coldrif सिरप की बिक्री पूर्ण रूप से बंद करने का आदेश जारी कर दिया है।
* अन्य राज्यों में भी दवा नियंत्रण विभाग सतर्क हो गया है — कई राज्यों ने ऐसी दवाओं की जांच शुरू कर दी है।
इस घटना के संकेत और मायने क्या है?
1. दवा नियंत्रण की चूक
अगर एक निर्धारित दवा इतनी मिलावट वाली निकले, तो यह बताता है कि निर्माण प्रक्रिया, कच्चे माल की जांच, और वितरण नेटवर्क पर नियंत्रण कमजोर है।
2. स्वास्थ्य सुरक्षा की संवेदनशीलता
बच्चों को दवाइयाँ देते समय डॉक्टरों और फार्मासिस्टों को विशेष सतर्कता बरतनी चाहिए। बहुत छोटी उम्र के बच्चों को दवाइयाँ मात्र डॉक्टर की सलाह से ही देना चाहिए।
3. कानूनी और प्रशासनिक जिम्मेदारी
दोषियों को बचाया नहीं जाना चाहिए। जांच निष्पक्ष होनी चाहिए। दोषी डॉक्टर, निर्माता, वितरणकर्ता सभी को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।
4. पारदर्शिता और नागरिक जागरूकता
आम लोगों को यह जानने का हक है कि उनकी दी जाने वाली दवाएँ सुरक्षित हैं या नहीं। सरकारी सिस्टम में पारदर्शिता होनी चाहिए।
भविष्य में कैसे बचा जाए ऐसी घटनाओं से
* दवाओं के निर्माण और वितरण में सख्त मानक और निरीक्षण होना चाहिए।
* रैंडम Testing और Quality Audits हर दवा कंपनी और वितरण इकाई पर लागू हों।
* डॉक्टरों को प्रशिक्षण देना चाहिए कि बच्चों को कौन-सी दवाइयाँ सुरक्षित हैं।
* (OTC) दवाइयों को बिना prescription बिक्री पर कड़ाई होनी चाहिए।
* जनता को सचेत करना चाहिए कि किसी भी अज्ञात सिरप का सेवन न करें।
* दोषियों को सार्वजनिक रूप से दंडित किया जाए, ताकि आगे गलती करने वालों में डर हो।
छिंदवाड़ा की यह घटना सिर्फ एक स्वास्थ्य त्रासदी नहीं है — यह उन कई खामियों को उजागर करती है जो दवा उद्योग और नियंत्रण व्यवस्था में हैं। छोटे बच्चे, जिनका कोई दोष नहीं, उनकी जान चली जाना बेहद दुखद है। सरकार, चिकित्सा जगत, जनता और मीडिया — सभी को मिलकर यह सुनिश्चित करना चाहिए कि दवाइयाँ सुरक्षित हों, जांच सख्त हो, और गलती करने वालों को दंड मिले।